2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू किया-

In दिल्ली
December 07, 2023
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BSP के सांसद हो रहे ‘बेवफा’, अब मायावती पार्टी से ब्रेकअप करने वाले नेताओं में तलाश रहीं वफादारी2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू किया-

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किंगमेकर बनने की उम्मीद पर पानी फिरने के बाद बसपा प्रमुख मायावती अब मिशन-2024 की सियासी बिसात बिछाने में जुट गई हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा से जीते कई सांसद बेवाफाई की राह पर हैं और 2024 में किसी दूसरे दल से किस्मत आजमाने की कोशिश में हैं. ऐसे में बसपा प्रमुख मायावती ऐसे नेताओं की तलाश में जुटी हैं, जो वफादारी के साथ-साथ जीतने की ताकत रखते हों. इसी के मद्देनजर बसपा से ‘ब्रेकअप’ कर दूसरे दलों में गए नेताओं की ‘घर वापसी’ कराकर उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में दांव खेलने की स्ट्रेटेजी शुरू की है?

लोकसभा चुनाव की तैयारी में BSP

2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है. बसपा ने लोकसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त करना शुरू कर दिया है, जो 2024 में पार्टी के उम्मीदवार माने जा रहे हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने सहारनपुर सीट पर माजिद अली को प्रभारी नियुक्त किया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में वो बसपा के प्रत्याशी हो सकते हैं जबकि सहारनपुर से मौजूदा समय में सांसद हाजी फजलुर्रहमान हैं.

माजिद अली की पत्नि तस्नीम बानो सहारनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है. 2016 में बसपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थी, लेकिन 2021 में माजिद अली का टिकट काट दिया तो उन्होंने बसपा छोड़कर दलित नेता चंद्र शेखर आजाद की पार्टी ज्वाइन कर ली थी. दो साल के बाद दोबारा से माजिद अली की दो दिन पहले बसपा में ‘घर वापसी’ हुई है, जिसके बाद पश्चिमी यूपी के प्रभारी शमसुद्दीन राइन ने उन्हें सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी घोषित किया.

इमरान मसूद के बसपा से निकाले जाने के बाद और सांसद हाजी फजलुर्रहमान के सपा से संपर्क में होने के चलते माजिद अली की घर वापसी कराई. माजिद अली को प्रभारी बनाए जाने के चलते माना जा रहा है कि फजलुर्रहमान का टिकट सहारनपुर से कट सकता है. ऐसे में साफ है कि बसपा फजलुर्रहमान के विकल्प के तौर पर माजिद अली पर दांव खेलने की रणनीति बनाई है, लेकिन 2021 में पार्टी से ब्रेकअप कर चुके थे. इस तरह से पार्टी छोड़कर गए नेताओं में मायावती वफादारी की उम्मीद तलाश रही हैं. हालांकि, बसपा में आखिरी वक्त तक कन्फर्म कुछ नहीं होता है, कब किसे टिकट मिल जाए और किसका टिकट कट जाए, यह बात कहना मुश्किल है.

नया ठिकाने की तलाश में BSP सांसद

हाजी फजलुर्रहमान ही नहीं बसपा के कई और भी सांसद 2024 के लोकसभा चुनाव में नया सियासी ठिकाना तलाश में है, क्योंकि मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर उन्हें जीत की उम्मीद कम दिख रही है. बिजनौर के सांसद मलूक नगर बीजेपी की तारीफ कर चुके हैं और गठबंधन करने की बात खुलकर कही है. ऐसे ही अंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडेय सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर चुके हैं और उनके पिता सपा से विधायक हैं. अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली ने पटना जाकर जेडीयू नेता नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं कांग्रेस नेताओं के साथ भी लगातार संपर्क में है. मऊ से अतुल राय के भी बीजेपी से संबंध होने की चर्चा है.

जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शिरकत किए थे. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर नितिन गडकरी की प्रशंसा तक कर चुके हैं और सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी. बीजेपी नेताओं के साथ-साथ सपा के साथ भी अपनी नजदीकियां बढ़ाने में जुटे हैं. गाजीपुर से सांसद रहे अफजाल अंसारी का परिवार सपा में शामिल हो चुके हैं. एक भतीजा सपा से जबकि दूसरा भतीजा राजभर की पार्टी से विधायक बने हैं.

माना जा रहा है कि 2019 में बसपा के टिकट पर संसद पहुंचने वाले नेताओं में आधे से ज्यादा पार्टी छोड़ने के फिराक में है, क्योंकि अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से वो चिंतित है. उन्हें लग रहा है कि गठबंधन की सियासत में अकेले चुनाव लड़ने पर उनका जीतना मुश्किल है. यही वजह है कि बसपा के सांसद बेवाफी की राह पर कदम बढ़ा रहे हैं. इस तरह से अफजाल अंसारी 2024 का खुद नहीं लड़ सकते हैं, जिसकी वजह से बसपा मौजूद प्रत्याशी की तलाश में है. ऐसे में बसपा की नजर उन मजबूत नेताओं पर है, जो पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन जहां पर वहां पर भी उन्हें टिकट मिलने की बहुत कम संभावना है. माजिद अली की बसपा में वापसी भी इसी मद्देनजर हुई है.

10 दिसंबर को लखनऊ में होगी BSP बैठक

बसपा नेतृत्व को पांच राज्यों के चुनाव में मिली हार के बाद सियासी विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. इसीलिए बसपा ने प्रभारियों का ऐलान करना शुरू कर दिया है. पार्टी प्रमुख मायावती ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर 10 दिसंबर को लखनऊ में बैठक बुलाई है. इस बैठक में मायावती आगामी चुनाव के लेकर अपनी रणनीति बनाने और लोकसभा सीटों पर प्रभारियों के नियुक्त करने का ऐलान कर सकती हैं. बसपा के सूत्रों की मुताबिक पार्टी के जोनल कॉर्डिनेटरों के ऊपर 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी तलाशने और उन्हें प्रभारी नियुक्त करने के दबाव है. बसपा के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के चलते बसपा से टिकट के लिए बहुत ज्यादा दावेदार नहीं है, जिसके वजह से पार्टी कॉरिडेटरों को मजबूत प्रभारी तलाशने में मुश्किल आ रही है.

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