गर्मी का मौसम जोर पकड़ने लगा है। इस दौरान लू यानी हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओं को हीट स्ट्रोक से बचाव करना चाहिए। इससे गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु दोनों की सेहत को खतरा होता है। लू लगने से शरीर के तापमान में होने वाले बदलाव का असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। महिला किसी संक्रमण की चपेट में आ सकती है तथा शिशु के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ने का खतरा रहता है।
लू लगने पर त्वचा गर्म, लाल व सूखी हो जाती है
लू के थपेड़ों से हर किसी को बचना चाहिए। धूप में नंगे पांव न चलें। चाय-काफी, अत्याधिक मीठे पदार्थ व गैस वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें। यह भी जान लेना आवश्यक है कि लू लगने पर त्वचा गर्म, लाल व सूखी हो जाती है। शरीर का तापमान बढ़ जाता है, मतली या उल्टी, बहुत तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, सांस फूलना या दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट होना, चक्कर आना, बेहोशी और हल्का सिरदर्द समेत कुछ अन्य लक्षण प्रकट होते हैं।
इन दिनों निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। तमाम मजदूर धूप में कार्य करते नजर आते हैं। जहां तहां बच्चों को भी धूप में खेलकूद करते देखा जा सकता है। लिहाजा धूप में कार्य करने वाले मजदूरों की सुरक्षा के लिए वहां छाया के प्रबंध होने चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई हीट स्ट्रोक की चपेट में आ गया है तो बिना देर किए उसके कपड़े ढीले कर दें। छाया व ठंडी हवा का प्रबंध करते हुए उसे जीवन रक्षक घोल आदि जरूर दें। बच्चों को धूप में खेलने से रोकना चाहिए। शुगर, बीपी, थायराइड आदि समस्याओं से पीड़ित मरीजों को धूप से बचाव करना चाहिए अन्यथा इन बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।