
अभय सिंह चौटाला ने मानसून सत्र के दूसरे दिन सुंडी की वजह से खराब हुई बाजरे की फसल पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर पूछे सवाल
3 लाख एकड़ बाजरे की फसल खराब हुई है और सरकार ने उसके लिए 17 लाख रूपए मंजूर किए हैं जो प्रति एकड़ मात्र 6 रूपए से भी कम बनता है, इससे यह साबित होता है कि सरकार किसानों की बिल्कुल भी हमदर्द नहीं है
ध्यानाकर्षण पर पूछे सवाल – यह बताया जाए कि क्या एचएयू कृषि विश्वविद्यालय से इस बार ऐसी कोई सलाह ली गई या नहीं?, अगर सलाह ली गई तो कब ली गई?, जुलाई में बाजरे की बिजाई की गई उसके लिए कृषि विश्वविद्यालय से सुंडी को नियंत्रण करने के लिए जो मानक तय किए गए हैं वो मई और जून में हुई बिजाई के लिए क्यों नहीं तय किए गए?, जो 5 एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसान हैं उनकी सहायता कैसे की जाएगी?, इसका कारण बताया जाए कि अब तक बाजरे की फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत क्यों नहीं रखा गया?
चंडीगढ़- सोमवार को विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सुंडी के कारण बाजरे की खराब हुई फसल पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि पिछले विधान सभा के सत्र में किसानों पर कितना कर्ज है एवं कर्जे के कारण कितने किसानों ने आत्महत्या की और उससे पहले विधान सभा सत्र में भी शराब घोटाले पर प्रश्र पूछा था जिसका जवाब 15 दिनों में देने को कहा गया था लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला है।
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अभय सिंह चौटाला ने कहा कि मंत्री ने अपने जवाब मे कहा है कि 11 लाख 90 हजार एकड़ भूमि में बाजरे की बिजाई हुई है जिसमें 3 लाख एकड़ बाजरे की फसल खराब हुई है और सरकार ने उसके लिए 17 लाख रूपए मंजूर किए हैं जो प्रति एकड़ मात्र 6 रूपए से भी कम बनता है। इससे यह साबित होता है कि सरकार किसानों की बिल्कुल भी हमदर्द नहीं है और किसानों को मारने के लिए, किसानों की फसल न बचे उसके लिए समय पर कभी किसानों की मदद नहीं करती। भाजपा सरकार ने किसानों को पहले पहले बाढ़ से मारा और अब सुंडी से मार रहे हैं।
अभय सिंह चौटाला ने प्रश्र पूछा कि हरियाणा में एक ही कृषि विश्वविद्यालय है जिसके वैज्ञानिकों से कृषि संबंधित बीमारियों की रोकथाम के लिए सलाह ली जाती है। यह बताया जाए कि क्या एचएयू कृषि विश्वविद्यालय से इस बार ऐसी कोई सलाह ली गई या नहीं? अगर सलाह ली गई तो कब ली गई? जुलाई में बाजरे की बिजाई की गई उसके लिए कृषि विश्वविद्यालय से सुंडी को नियंत्रण करने के लिए जो मानक तय किए गए हैं वो मई और जून में हुई बिजाई के लिए क्यों नहीं तय किए गए? जो 5 एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसान हैं उनकी सहायता कैसे की जाएगी? इसका कारण बताया जाए कि अब तक बाजरे की फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत क्यों नहीं रखा गया?