
प्राकृतिक खेती पर ‘‘किसान मेला-2023’’ का आयोजन

संगरिया- कृषि विज्ञान केन्द्र, ग्रामोत्थान विद्यापीठ, संगरिया द्वारा ‘‘प्राकृतिक खेती: परम्परा भी जरुरत भी’’ व ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023’’ विषय पर किसान मेला-2023 का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ जिला कलक्टर रुकमणी रियार सिहाग थीं।मेले में विशिष्ट अतिथि श्री सुखराज सिंह सलवारा, सचिव ग्रामोथान विद्यापीठ एवं डाॅ. सुभाष बलौदा, निदेशक, प्रसार शिक्षा, स्वामी केशवानन्द राजसथान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर थे। अन्य गणमान्य डाॅ. आर.के. दाधिच, निदेशक, केन्द्रीय राज्य फार्म, सरदारगढ़, डाॅ. बलजीत सहारण, वरिष्ठ वैज्ञानिक सूक्ष्म जैविकी, सीसीएचएयू, हिसार, श्री रमेश देव, एसडीएम, संगरिया, श्रीमति गुलाब सिंवर, निदेशक, ग्रा.वि., संगरिया, श्री कृष्ण जाखड़, प्रगतिशील किसान (प्राकृतिक खेती), उपस्थित रहे। मेले के उद्घाटन सत्र में सर्वप्रथम शिक्षा संत स्वामी केशवानन्द के श्रीचरणों में पुष्पांजली अर्पित की गई। तदुपरान्त सभी अतिथियों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. अनूप कुमार ने कार्यक्रम में पधारे सभी सम्मानित अतिथियों के लिये स्वागत उद्बोद्धन दिया और वर्तमान परिपेक्ष में प्राकृतिक खेती व मोटे अनाजों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मलिेट्स ईयर 2023 की उपादयता का जिक्र किया। मेले में डाॅ. बलजीत सहारण ने प्राकृतिक खेती, डाॅ. आर.के. शर्मा ने डेयरी प्रबन्धन, मनीराम जाखड़, इफ्को ने नैनो यूरिया के महत्व, डाॅ. चन्द्रशेखर शर्मा ने प्राकृतिक खेती के साथ साथ कपास उत्पादन तकनीक एवं श्री उमेश कुमार ने बीटी कपास में कीट प्रबन्धन पर प्रकाश डाला। मेले में लगभग 2200 कृषक तथा कृषक महिलाओं ने भाग लिया। किसानों को लाभान्वित करने हेतु 65 स्टाॅलों का प्रदर्शन किया गया। सब्जी उत्पादकों द्वारा प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर क्रमशः आईपीएल, इफ्को व चावला इंटरप्राईजेज रहे। किसानों को प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि द्वारा केन्द्र पर विभिन्न इकाईयों का भ्रमण किया गया तथा सभी इकाईयों की प्रशंसा की गई। पधारे गये अतिथियों द्वारा केशव खेती एवं जलवायू समुत्थानशील कृषि में राष्ट्रीय नवाचार, प्राकृतिक खेती एवं बीटी कपास में गुलाबी सूंडी का प्रबन्धन विषय पर फोल्डर्स का विमोचन किया गया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि प्राकृतिक खेती व मोटे अनाजों की खेती आज विश्व की आवश्यकता है। मृदा एवं मानव स्वास्थ्य के लिये इन दोनों की आवष्यकता है। अतः किसानों को इस तकनीकी को धरातल पर उतारना है।
ग्रामोत्थान विद्यापीठ के सचिव सुखराज सिंह सलवारा ने प्राकृतिक खेती की आवश्यकता पर जोर देते हुये केन्द्र पर अपनाई गई तकनीक को समझ कर अपने खेतों पर लागु करें। जिससे मृदा , मानव एवं वातावरण को बचाया जा सके। साथ ही पशुओं को संतुलित आहार खिलायें ताकि पशु स्वस्थ रहें तथा ज्यादा दुध उत्पादन कर सके।