
रतन टाटा के निधन की खबर सुनते ही पूरा नवसारी पारसी समुदाय के साथ शोक में डूब गया। पिछले शुक्रवार को नासरी के ‘सिरवई पार्टी प्लॉट’ (पारसी बालकों का अनाथालय) में आयोजित ‘उत्तमनु’ (पारसी प्रार्थना) समारोह एवं श्रद्धांजलि सभा, समुदाय के गुजरात आगमन की शरणार्थी कहानी ‘दूध में चीनी’ में एक छलकते हुए कटोरे की तरह थी, क्योंकि रतन जी के हजारों शुभचिंतक एवं प्रशंसक, जो लगातार प्रार्थना एवं शोक सभा में उमड़ रहे थे, मीठी चीनी की तरह समा रहे थे। पद्म विभूषण श्री रतन टाटा की श्रद्धांजलि सभा नवसारी के समस्त पारसी अंजुमन द्वारा आयोजित की गई थी और इसमें अधिकांश वर्तमान और पूर्व टाटा कर्मचारी और उनके परिवार के लोग, साथ ही नवसारी और उसके आसपास के हजारों रतन के प्रशंसक और चाहने वाले शामिल हुए, चाहे उनकी जाति, पंथ, धर्म कुछ भी हो, क्योंकि यह भारत के लोग थे जो हमारी धरती के इस प्रसिद्ध बेटे को बिना शर्त श्रद्धांजलि और विदाई देने आए थे। नवसारी के पारसियों के लिए यह गर्व की बात है कि भारत के नेता और नायक, जैसे भारतीय उद्योग के जनक और टाटा समूह के संस्थापक, राजनेता दादाभाई नौरोजी, प्रथम बैरोनेट सर जेजे, और भारत के हमारे सूक्ष्म-अल्पसंख्यक समुदाय के कई अन्य लोग नवसारी के इस छोटे से शहर से थे। हाल के दिनों में दक्षिण गुजरात में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी दिवंगत व्यक्ति के लिए इतनी बड़ी सामाजिक शोक सभा भौगोलिक दृष्टि से इतनी दूर हुई हो, जिसमें न केवल पारसी/जोरास्ट्रियन समुदाय और टाटा समूह की कई सहायक कंपनियों के कर्मचारी शामिल थे, बल्कि नवसारी के स्थानीय और पड़ोसी लोग भी आंखों में आंसू लिए हुए थे।
नवसारी कलेक्टर जैसे वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, पुलिस अधिकारी, वरिष्ठ नगरपालिका अधिकारी और गुजरात के स्थानीय और राज्य के राजनेता जैसे गुजरात के माननीय वित्त मंत्री श्री कनुभाई देसाई श्रद्धांजलि देने के लिए मौन उपस्थित थे।
नवसारी ने इस दूरदर्शी विरासत वाले परोपकारी उद्योगपति परिवार के लिए शोक व्यक्त किया और प्रार्थना की, जिसने अपना हीरा खो दिया, साथ ही यह कामना की कि बहुत सारे उद्योगपति टाटा परिवार से प्रेरणा लें, ताकि हम अपने देश से गरीबी को पूरी तरह से खत्म होते देख सकें।