पदयात्रा: जिसने कतरा भर भी साथ दिया हमारा वादा रहा… वक्त आने पर उन्हें दरिया लौटा देंगे..

In नजरिया
May 20, 2023
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कई बार यह जरूरी हो जाता है कि इंसान स्वयं को खोजने के लिए हजारों मील की राह नापने निकल पड़ता है फिर चाहे इसके लिए तन छिले या धूप तपाए। दृढ़ संकल्पी लोग लक्ष्य की प्राप्ति के बिना बीच राह में नहीं रुकते। ”

यात्राओं (पदयात्रा/रथयात्रा) को लेकर इतिहास और तजुर्बे तो यही बताते हैं कि इस शक्ति से कुछ भी उलटफेर हो सकता है। बस, इसके लिए जुनून और दृष्टिकोण स्पष्ट होना चाहिए और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मतभेद और मनभेद को भी भूलना जरूरी हो जाता है। हरियाणा प्रदेश में भी आजकल एक शख्सियत इन्हीं पदचिह्नों पर चले हुए हैं। पसीने से सने तरबतर कपड़े और लू फैंकती राहें भी उन्हें नहीं रोक पा रही हैं। हम बात कर रहे हैं जननायक ताऊ देवी लाल के पौत्र और इनेलो के वरिष्ठ नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला की, जिन पर आजकल प्रदेश के नर-नारी, बूढ़े-जवान और बच्चे-बच्चे के सहयोग से, पदयात्रा के माध्यम से मंजिल तक पहुंचने का जुनून सवार है। 

इनेलो संगठन की मजबूती के लिए उनके ये कदम सच की गहराइयों से उतरकर वास्तविकता को स्वीकारने की ओर बढ़े हैं। अभय अपनी यात्रा की रफ्तार जनहित के मुद्दों को लेकर सडक़ों पर उतरे हैं जिससे कार्यकर्ताओं और प्रदेश के मतदाताओं में इनेलो के प्रति दिन-प्रतिदिन झुकाव भी बढ़ता दिख रहा है। इनकी इस ‘हरियाणा परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के हर आम जनमानस को अपने ‘दल’ से जोडऩा, सभी को सम्मान देना और सभी को साथ लेकर चलना है। अगले वर्ष अक्तूबर 2024 के आसपास हरियाणा विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए देश में हवा के रुख को देखते हुए अभय चौटाला अपनी ‘पदयात्रा‘ में लोगों के प्रतिदिन जुड़ते हुजूम से भाजपा के विजयरथ को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर बदलाव लाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।

देश में ‘ताऊ’ के नाम से ख्यातिप्राप्त चौधरी देवी लाल ने भी वर्ष 1985 में हरियाणा से जुड़े मुद्दों को लेकर जिला हिसार से नई दिल्ली तक पदयात्रा की थी, इस यात्रा में ताऊ के पांवों में भी छाले पड़ गए थे लेकिन वह लक्ष्य तक पहुंचे बिना रुके नहीं थे। ताऊ की यात्रा जहां कहीं भी रात को ठहरती तो पूरा गांव ही उनकी सेवाभगत में लग जाता था। उनका स्वयं का भी और उनके सहयोगियों का भी गांव में सहर्ष सम्मान किया जाता था, उनके खाने और रहने की पूरी व्यवस्था की जाती थी। इस संघर्ष ने उनको प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचा दिया था लेकिन ताऊ ठहरे ‘जुबान के धनी’, उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तो स्वीकार नहीं किया लेकिन वर्ष 1990 में उन्होंने उप-प्रधानमंत्री का पद स्वीकार कर लिया था। उसी तरह अभय चौटाला ने भी प्रदेश के सभी 90 हलकों और 22 जिलों में दस्तक देने के लिए सात महीनों तक हरियाणा ‘परिवर्तन पद यात्रा आपके द्वार’ का चयन किया हुआ है। इस यात्रा से करीब 4200 किलोमीटर  का सफर तय किया जाएगा। आपको बता दें कि चंद्रशेखर की ‘भारत यात्रा’ 6 जनवरी से 25 जून, 1983 तक चली थी और यह यात्रा कश्मीर से कन्या कुमारी तक थी। उन्होंने भी छह माह में करीब 4200 किलोमीटर का रास्ता तय किया था और 25 जून को इस यात्रा का समापन दिल्ली में राजघाट पर हुआ था। संयोग से अभय ने भी 4200 किमी. के सफर को नापने की ठानी हुई है। इनकी यह पदयात्रा कड़वाहट, सियासी साजिश, आपसी समन्वयता, उदारता और प्रदेश के विकास को लेकर हो रही है। 

यह यात्रा लगातार जनता के साथ कदमताल करके जननायक चौधरी देवी लाल के जन्मोत्सव 25 सितम्बर, 2023 को कुरुक्षेत्र में संपन्न होगी। पहले दिन की यात्रा 24 फरवरी, 2023 को पुन्हाना हलके के गांव सिंगार से शुरू हुई जिसमें पुन्हाना, चांदकी, नाहरपुर, भुरियाकी, खोरिश चोख और अंतिम गांव पिन्गवां तक कुल 16 किलोमीटर तक का सफर तय किया गया और इसी गांव में पदयात्रा की प्रथम रात्रि का ठहराव हुआ। इस गांव में भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के बाद स्नान किया था और इसी वजह से इसका नाम ‘सिंगार’ पड़ा। यात्रा का रात्रि ठहराव जहां कहीं भी होता है, अभय वहींं रात्रि भोजन लेते हैं, विश्राम करते है। विशेष बात यह भी है कि रात्रि ठहराव उसी गांव में होता है जहां कभी अपने समय में ताऊ  देवी लाल भी रहे थे और उन्होंने जनता से जुड़े अपने विचार सांझे किए थे। अभय प्रदेशभर के उन लोगों से भी खूब मिल रहे हैं जो कभी चौधरी देवी लाल और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। अभय उन लोगों से भी मिल रहे हैं जिनके बुजुर्गों ने कभी ताऊ द्वारा शुरू किए गए जनआंदोलनों में हिस्सा लिया था। ऐसे हजारों लोगों को अभय पुन: इनेलो की मुख्यधारा से जोडऩे का काम कर रहे हैं। ग्रामवासियों के साथ ही नाश्ते से लेकर रात्रि का भोजन और रात्रि विश्राम के पीछे तर्क ये भी है कि इससे लोगों की समस्याओं के निदान व पार्टी के आधार का सही आकलन हो सके और लोगों के सुझावों के आधार पर ही पार्टी के स्वरूप में भी बदलाव लाने का प्रयास किया जाए। यात्रा प्रतिदिन 15 से 20 किमी की दूरी तय करती है और हर विस क्षेत्र में 3 दिनों तक चलती है। 

वर्ष 2013 में पिताश्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला सियासी साजिशों से उत्पीडि़त हो गए थे। इस विपदा में अपने दल और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अभय चौटाला के कंधों पर आन पड़ी थी। मगर दृढसंकल्पी अभय विचलित नहीं हुए और इन्होंने पार्टी व परिवार, दोनों को हर दौर बांधे रखा, सहेजे रखा। संगठन में टूटन हुई तो इनके अपने ही इनके लिए चुनौती बन गए थे। बेशक, अभय अकेले-से पड़ गए थे लेकिन फिर भी जनहित के मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार के प्रति उनका रवैया सख्त ही रहता है। ऐसी ही विपरीत परिस्थितियों को पार करते हुए अभय फिर से अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए प्रदेश की सडक़ों पर निकले हुए हैं। किसी भी नेता की सियायी पदयात्रा कितनी सफल रहेगी, इसकी गवाही तो जनता का सहयोग ही देता है। इसके लिए अब अभय  भी ‘पदयात्रा’ और जनजागरण से आने वाले विधानसभा/लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के हित में वोटों का परिवर्तन करने के लिए जुटे हुए हैं।

अभय के अनुसार, हम किसी नफरत या हिंसा के लिए ‘पदयात्रा’ नहीं निकाल रहे, हमें तो प्रदेश के जन-जन का विकास चाहिए। ये हमारी प्रभावी और दूरगामी बनाई हुई रणनीति है। किसी भी नेता के लिए ‘यात्रा’ एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होता है जिसका मकसद सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करना होता है। लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए लोगों से मिला जाए, बस इसीलिए ही हम (अभय) हरियाणा ‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ के माध्यम से जनता के साथ सडक़ों पर निकल पड़े हैं। .

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