
जन संदेश न्यूज नेटवर्क – नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा जन धन, आधार और मोबाइल फोन ने वित्तीय लेन-देन में क्रांति ला दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हम कृत्रिम मेघा आधारित अनुवाद मंच भाषिणी तैयार कर रहे हैं, यह भारत की विविध भाषाओं के डिजिटल समावेश को सहयोग देगा। भारत का डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा वैश्विक चुनौतियों के लिए सुरक्षित और समावेशी समाधान पेश करता है। 50 करोड़ के पार, जनधन खातों की संख्या प्रधानमंत्री ने जनधन खातों की संख्या 50 करोड़ के पार पहुंचने को एक अहम पड़ाव करार दिया और इस उपलब्धि की सराहना की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, यह देखकर खुशी हुई कि इनमें से आधे से अधिक खाते महिलाओं के हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा था कि देश में जनधन खातों की कुल संख्या 50 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है जिनमें से 56 फीसदी खाते महिलाओं के हैं। 67 फीसदी खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए मंत्रालय के बयान के अनुसार, इनमें से लगभग 67 फीसदी खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। इस उपलब्धि को एक अहम पड़ाव करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देखकर खुशी हो रही है कि इनमें से आधे से अधिक खाते हमारी नारी शक्ति के हैं। 67 फीसदी खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि वित्तीय समावेश का लाभ हमारे देश के हर कोने तक पहुंचे। खातों में राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक है वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, जनधन खातों में कुल जमा राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जबकि इन खातों के साथ लगभग 34 करोड़ रुपण् कार्ड मुफ्त जारी किए गए हैं।
मोदी सरकार ने 2014 में वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए जनधन बैंक खाते खोलने के वास्ते बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया था जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सहित कई वित्तीय सेवाओं को गरीबों के लिए सुलभ बनाना था।