
राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के 35 जिले जो एनसीआर में आते हैं, इन जिलों में हरियाणा प्रदेश का मेवात एनसीआर का दूसरा सबसे पिछड़ा हुआ और गरीब जिला है। वर्ष 2019 से 2021 के नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे के मुताबिक, मेवात क्षेत्र की करीब 80 फीसदी आबादी के पास खाना पकाने के लिए एलपीजी सिलेंडर और बिजली तक की भी सुविधा नहीं है। राजस्थान के भरतपुर के बाद मेवात ही ऐसा जिला है जिसमें सबसे ज्यादा लोग कच्चे मकानों में रहते हैं। मेवात में 15 से 49 वर्ष की करीब 51 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो पढ़ी-लिखी नहीं हैं। अर्थात् जहां देश में तरक्की हो रही है, पढ़ाई-लिखाई हो रही है, वहीं मेवात इसके बिल्कुल विपरीत दूसरी दिशा में जा रहा है।इस क्षेत्र के लोगों ने जिन भी नेताओं पर भरोसा किया उन्होंने सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण की ही राजनीति की है और केंद्र की सरकारों ने भी यहां की पूरी आबादी को देश की बाकी आबादी से अलगथलक करके छोड़ा हुआ है। नूंह जिले में केवलमात्र तीन विधानसभा क्षेत्र हैं और वर्ष 2019 में हरियाणा विस में ये तीनों सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीती थी। कांगे्रस के पिछले शासनकाल में केंद्र में भी और प्रदेश में भी लगातार दस वर्षों तक कांग्रेस की सरकारें रही हैं लेकिन इसके बावजूद भी ये क्षेत्र आज तक भी सबसे पिछड़े/गरीब क्षेत्रों में आता है। कांग्रेस पार्टी शुरू से ही कभी इस पर बात भी करना पसंद नहीं करती और कांग्रेस के जो विधायक हैं वो मुस्लिम तुष्टिकरण की ही राजनीति करते आए हैं।भाजपा पार्टी भी ढींगें तों खूब हांकती है कि जहां-जहां भी इनकी पार्टी की सरकारें होती हैं, वहां पर साम्प्रदायिक दंगे नहीं होते। कहते हैं हमारी ‘डबल इंजन’ की सरकारों में कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रहती है। हर चुनावी रैली में भाजपा के नेता अपनी डबल इंजन की सरकारों का खूब राग अलापते हैं कि जहां भी हमारी सरकारें हैं वहां दंगे होते ही नहीं बल्कि पश्चिमी बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां कानून-व्यवस्था के बहुत ही खराब हालात हैं। लेकिन पिछले दो माह में मणिपुर के बाद हरियाणा दूसरा ऐसा राज्य है जहां भाजपा की सरकार होते हुए भी साम्प्रदायिक दंगे भडक़े हंै। हरियाणा के मामले में तो ये हालात और भी बदत्तर हैं।मनोहर लाल खट्टर 2014 से हरियाणा में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं लेकिन वर्ष 2017 से 2021 के बीच खट्टर की सरकार में 211 साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं। और जब-जब भी हरियाणा दंगों की आग में जला है तब-तब खट्टर हरियाणा को एक बार भी नहीं बचा पाए हैं। वर्ष 2017 में जब डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में दोषी करार दिया गया था और जब उन्हें जेल में डाला गया था तब पंचकुला और सिरसा समेत प्रदेश में कई जगह हिंसा भडक़ गई थी जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे, तब भी खट्टर इस हिंसा को रोक नहीं पाए थे, जो उनकी बहुत बड़ी नाकामी है। इस दौरान भी दंगाइयों ने नूंह (मेवात) क्षेत्र में ऐसी तोडफ़ोड़ की जैसे पूरा इलाका इन्हीं का ही है और पुलिस भी खड़े-खड़े ये तमाशा देखती रही। इसी तरह वर्ष 2016 में भी जाट आरक्षण की मांग के दौरान जबरदस्त हिंसा हुई थी और इसे रोकने में भी खट्टर सरकार बिल्कुल नाकाम रही।खट्टर सरकार मेवात की इस हिंसा को भी नहीं रोक पाई, उल्टा मुख्यमंत्री खट्टर कह रहे हैं कि ‘सरकार हर नागरिक को सुरक्षा नहीं दे सकती, हर नागरिक की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती।’ आप दुनिया में किसी भी देश में चले जाइए हर व्यक्ति की सुरक्षा पुलिस के द्वारा करना संभव नहीं होता। हमारी 130 करोड़ आबादी है, जिसमें हरियाणा की 2.70 करोड़ आबादी है और इस जनसंख्या पर हमारी पुलिस कितनी है, मात्र 50-60 हजार। हां, अगर कोई सीमा लांघेगा तो उस पर कार्रवाई करेंगे।हरियाणा में डबल इंजन की सरकार है और सारे देश ने देखा कि ये इंजन कैसे धुआं छोड़ रहा है, इसका अंदाजा हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री के एक दूसरे बयान से भी लगा सकते हैं जो कह रहे हैं ये हिंसा इसलिए हुई क्योंकि शोभायात्रा निकालने वाले आयोजकों ने भीड़ की सही जानकारी प्रशासन को नहीं दी थी। जैसे प्रदेश में सरकार ‘डबल इंजन’ की है वैसे ही इस हिंसा को लेकर बयान भी ‘डबल’ हैं, मुख्यमंत्री इस हिंसा को पूर्व नियोजित बता रहे हैं तो उप-मुख्यमंत्री पहले जानकारी न देने की बात कर रहे हैं।हरियाणा में इतनी बड़ी हिंसा हो गई। सितम्बर में जी-20 की पे्रस कान्फे्रंस होने वाली है जहां दुनिया के बड़े बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष/प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति मौजूद होंगे। इस घटना क्षेत्र से मात्र 80 किमी की दूरी पर माहभर पहले ऐसी घटना घट गई और वो भी वहां, जहां भाजपा की अपनी ही सरकार है। सोच सकते हैं ऐसे में हमारे देश की कितनी बदनामी होगी।
लेखक: नच्छत्तर सिंह
1. एमए मास कम्युनिकेशन
2. एमए पंजाबी
3. पीजी डिप्लोमा, ह्यूमन राइट्स