- चूंकि अमित शाह की छवि कड़क मिजाज और सख्त प्रशासक की है। इस वजह से उनसे देश के कथित संभ्रांत तबके का एक हिस्सा खार खाए बैठा है। ‘मोदी नहीं बल्कि शाह को जाएगा वोट’ का नैरेटिव इस तबके के सोच को बढ़ावा देने की कोशिश भी कही जा सकती है। याद रहे कि राजनीति में हमेशा दो और दो का जोड़ चार नहीं होता।
अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने राजनीति के शांत तालाब में ऐसा पत्थर उछाला है, जिसकी लहरें दूर तक फैल गई हैं। उन्होंने शिगूफा छेड़ा है कि यदि आपने भाजपा को वोट दिया तो अगले वर्ष 75 साल के होने पर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद छोड़कर अपनी जगह अमित शाह की ताजपोशी कराएंगे।
